Happy Dussehra 2020 Vijaymuhurat Date and Timing:- शुभ नवरात्र पर्व के दसवें दिन को विजय दशमी के रूप में पहचान देश विदेश में मिली है। हालांकि मुख्य रूप में Dussehra को अच्छाई का बुराई के ऊपर जीत का प्रतीक मानते हैं किंतु रावण वध की दास्तां समझी जाए तो वे मात्र एक भगवान अर्थात पवित्र आत्मा रूपी श्री राम जी की जीत थी। जिन्होंने रावण जो कहने को तो शिव भक्त थे लेकिन अपने भीतर अपनी ताकत का घमंड ले लिए थे। सच्चाई तो यह है कि देश में रावण अभी तक जिंदा है।
इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको दशहरा पर्व से जुड़ी कथाओं समेत आज देश भर में मनाया जाने वाले इस त्योहार का शुभ मुहूर्त समेत एवं पूजा विधि से भी रूबरू कराएंगे।
Dussehra पर्व से जुड़ी दो कथाएं संबंध रखती है। हालांकि अधिकांश लोग मात्र श्रीराम जी का लंका पति रावण का वध वाली कथा ही जानते हैं लेकिन इसके अलावा भी अन्य कथा भी विजयदशमी से जुड़ी हुई है। चलिए इन कथाओं के बारे में थोड़ा थोड़ा जानते हैं।
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कथा 1:- Dussehra पर्व से संबंधित अयोध्या राजा राम की कथा
अपने पिता राजा दशरथ की आज्ञा का पालन करते हुए श्रीराम माता सीता समेत भाई लक्ष्मण 14 साल के लिए वन में अपना जीवन व्यतीत करने जाते हैं। जहां उनका सामना लंका के राजा रावण से होता है। लंका
जो आज के समय श्रीलंका कहलाया जाता है। रावण भगवान शिव के बहुत बड़े श्रद्धालु रहे हैं। उन्हें बहुत बड़ा ज्ञानी भी माना गया है। लेकिन वयक्ति का घमंड उसके ज्ञान को मिटाने की क्षमता रखता है। यही घमंड रावण में था अपनी ताकत का। लेकिन जब रावण ने अपने आगे श्रीराम जैसे ताकतवर एवं पवित्र आत्मा को पाते हैं तो रावण इस बात को मान नहीं पाता कि कोई उससे ताकतवर हो सकता है। इसी कारण रावण श्रीराम जी की प्रिय माता सीता का हरण कर श्रीराम से युद्ध की कामना करते हुए श्रीराम जी को पराजित करना चाहता था। लेकिन श्रीराम जी ने रावण से युद्ध में रावण का वध कर दिया जिसके लिए Dusshera का पर्व मनाया जाता है। रावण के वध के बाद श्रीराम,माता सीता एवं लक्ष्मण जी पद यात्रा करते हुए अयोध्या के लिए प्रस्थान करते हैं उनको अयोध्या पहुंचने में 20 दिन लगते हैं इसीलिए दशहरा पर्व के ठीक 20 दिन बाद दीपावली का त्योहार हर्ष उल्लास से देश भर में मनाया जाता है।
कथा 2:- माँ दुर्गा के द्वारा किया गया महिषासुर का वध
“शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती”
बहुत कम युवा जानते होंगे की Dusshera का पर्व माँ दुर्गा का असुर महिषासुर का वध करने के कारण भी मनाया जाता है। महिषासुर एक ऐसा असुर था जो जब दोहरे रूप में अपनी जिंदगी जीता था एक जीवन में वो मनुष्य के रूप में जीता था तो दूसरे पल में खुद को भैंस के रूप में ढाल देता था। दरअसल महिषासुर के पिता रंभ जो कि असुरों का राजा हुआ करता था उसे एक दिवस भैंस से प्रेम हो गया था। जिनके कारण महिषासुर को यह ताकत मिली। महिषासुर ब्रह्मा देव के बहुत बड़े भक्त थे। भगवान ब्रह्मा जी से महिषासुर को यह वरदान था कि उसे कभी कोई देव देवी परास्त नहीं कर सकते जिसके कारण महिषासुर देवताओं को परेशान करने लग गए। इससे परेशान होकर सभी त्रिमूर्ति ब्रह्मा विष्णु महेश के पास जाकर गुहार की। इसी में माता दुर्गा का आगमन हुआ नौ दिन तक माता ने महिषासुर का सामना किया और दसवें दिन वध कर दिया।
Dussehra 2020 पर्व का शुभ मुहूर्त
विजयदशमी का त्योहार हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक नवरात्र समाप्त होने के बाद आता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक का यह पावन त्योहार 2020 में 25 अक्टूबर को सुबह 7:41बजे शुरुआत हो जाएगा तथा समाप्ति अगली सुबह 26 अक्टूबर 2020 को 9 बजे तक रहेगा। अगर बात की जाए विजय मुहूर्त की तो उसका शुभ समय आज(25अक्टूबर) दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से लेकर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।